आचरण की सभ्यता का देश निराला है। इसमें न शारीरिक झगड़े है, न
मानसिक, न आध्यात्मिक। न इसमें विद्रोह है, न जंग ही का नामोनिशान है
और न वहाँ कोई उँचा है, न नीचा। न कोई वहाँ धनवान है और न कोई वहाँ
निर्धन। वहाँ प्रकृति का नाम नहीं, वहाँ तो प्रेम और एकता का अखंड राज्य
रहता है।
अथवा



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